युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

ग़ज़ल / ज़ैदी जाफ़र रज़ा / भीड़ में रास्ता लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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मंगलवार, 6 अप्रैल 2010

भीड़ में रास्ता बनाते रहे / بھیڑ میں راستہ بناتے رھے

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भीड़ में रास्ता बनाते रहे। हम भी तक़दीर आज़माते रहे॥ जान अपनी बचा के ख़ुश थे बहोत, जाँनिसारी के गीत गाते रहे॥ सुल्ह करना जिन्हें गवारा न था,...
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