युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

ग़ज़ल / ज़ैदी जाफ़र रज़ा / दबी थीं राख में लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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सोमवार, 19 अप्रैल 2010

दबी थीं राख में चिंगारियाँ ख़बर थी किसे

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दबी थीं राख में चिंगारियाँ ख़बर थी किसे। जला्येगी ये ज़मीं आस्माँ ख़बर थी किसे॥ सुख़नवरों में थे गोशानशीन हम भी कहीं, हमारे दम से थी महफ़िल ...
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