युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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सोमवार, 21 जून 2010

तुम नहीं हो तो ये तनहाई भी है आवारा

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तुम नहीं हो तो ये तनहाई भी है आवारा। जा-ब-जा शहर में रुस्वाई भी है आवारा॥ कोयलें साथ उड़ा ले गयीं आँगन की फ़िज़ा, पेड़ ख़ामोश हैं अँगनाई भी ...
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