युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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मंगलवार, 6 अप्रैल 2010

घने कुहरे में बीनाई भी हो जाती है लायानी / گھنے کہرے میں بِینائی بھی ہو جاتی ہے لا یعنی

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घने कुहरे में बीनाई भी हो जाती है लायानी। मुसीबत में पज़ीराई भी हो जाती है लायानी॥ निशाने-मंज़िले-जानाँ की जानिब जब मैं बढ़ता हूं, मेरे नज़...
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