युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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सोमवार, 22 सितंबर 2008

शह्र-शह्र सन्नाटे / खालिद अहमद

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शह्र-शह्र सन्नाटे, यूँ सदा को घेरे हैं। जिस तरह जज़ीरों के, पानियों में डेरे हैं। नींद कब मयस्सर है, जागना मुक़द्दर है, जुल्फ़-जुल्फ तारीकी, ...
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