युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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गुरुवार, 16 अक्टूबर 2008

देख लो ख्वाब मगर ख्वाब का चर्चा न करो./ कफ़ील आज़र

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देख लो ख्वाब मगर ख्वाब का चर्चा न करो. लोग जल जायेंगे सूरज की तमन्ना न करो. वक़्त का क्या है किसी पल भी बदल सकता है, हो सके तुमसे तो तुम मुझ ...
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