युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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रविवार, 15 जून 2008

किशवर नाहीद की दो ग़ज़लें

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[ 1 ] हसरत है तुझे सामने बैठे हुए देखूं मैं तुझसे मुखातिब हो तेरा हाल भी पूछूँ दिल में है मुलाक़ात की ख्वाहिश की दबी आग मेंहदी लगे हाथों को छ...
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