युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

ग़ज़ल / अजमल नियाज़ी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
ग़ज़ल / अजमल नियाज़ी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
बुधवार, 27 अगस्त 2008

हम अकेले ही सही / अजमल नियाज़ी

›
हम अकेले ही सही शह्र में क्या रखते थे दिल में झांको तो कई शह्र बसा रखते थे अब किसे देखने बैठे हो लिए दर्द की ज़ौ उठ गए लोग जो आंखों में हया र...
2 टिप्‍पणियां:
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
Blogger द्वारा संचालित.