युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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बुधवार, 27 अगस्त 2008

दर्द का सूरज / अख्तर लखनवी

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अब दर्द का सूरज कभी ढलता ही नहीं है। ये दिल किसी पहलू भी संभलता ही नहीं है। बे-चैन किए रहती है जिसकी तलबे-दीद अब बाम पे वो चाँद निकलता ही नह...
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