युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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गुरुवार, 23 अक्टूबर 2008

गमे-दौराँ, गमे-जानाँ, गमे-जाँ है कि नहीं./ जाफ़र ताहिर

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गमे-दौराँ, गमे-जानाँ, गमे-जाँ है कि नहीं. दिल-सिताँ सिलसिलए-ग़म-ज़दगां है कि नहीं. हर नफ़स बज़्मे-गुलिस्ताँ में ग़ज़ल-ख्वाँ था कभी, हर नफ़स नाल...
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