युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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रविवार, 29 मार्च 2009

मैं शिव नहीं हूँ, के गंगा जटा से निकलेगी.

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मैं शिव नहीं हूँ, के गंगा जटा से निकलेगी. मनुष्य हूँ, ये मेरी साधना से निकलेगी. नहा के आया हूँ मंदाकिनी के तट से अभी, कला संवर के ...
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