युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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सोमवार, 28 जुलाई 2008

बस करता रहूँगा कर्म / गौरव अवस्थी

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आज मैंने सोचा क्यों न कर लिया जाय धर्म परिवर्तन ! परिवर्तित कर लेने से धर्म सफल हो सकता है जीवन । हिंदू धर्म में मज़ा नही है , देवी देवताओं ...
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