युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

आलोचना / डॉ. परवेज़ फातिमा / कोयले दहकते हैं लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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गुरुवार, 25 दिसंबर 2008

शैलेश जैदी का ग़ज़ल-संग्रह "कोयले दहकते हैं" / डॉ. परवेज़ फ़ातिमा

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आज हिन्दी कविता में ग़ज़ल एक लोकप्रिय विधा बन चुकी है. किंतु आलोचना के क्षेत्र में अभीतक कोई गंभीर कार्य नहीं हुआ. ग़ज़ल की ऐतिहासिक पृष्ठभू...
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