युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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गुरुवार, 19 जून 2008

मुक्तिबोध ने कहा था

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1. जनता का साहित्य' जनता का साहित्य', जनता को तुरत समझ में आने वाला साहित्य हरगिज़ नहीं. अगर ऐसा होता तो किस्सा तोता-मैना और नौटंकी ...
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