युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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शनिवार, 14 जून 2008

प्रगतिशील लेखक आन्दोलन : जड़ों की पहचान / प्रो. शैलेश ज़ैदी

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प्रकाशकीय टिप्पणी प्रस्तुत आलेख 1984 में प्रो. विश्वम्भर नाथ उपाध्याय के विशेष आग्रह पर प्रगतिशील लेखक संघ के लाखनऊ अधिवेशन के लिए लिखा गया...
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मंगलवार, 3 जून 2008

हसरत मोहानी / प्रो. शैलेश ज़ैदी

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भारतीय स्वाधीनता के इतिहास में हसरत मोहानी [ 1875-1951] का नाम भले ही उपेक्षित रह गया हो, उनके संकल्पों, उनकी मान्यताओं, उनकी शायरी में व्यक...
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