युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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सोमवार, 17 मार्च 2008

कबतक ? : - शैलेश ज़ैदी

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गुलाबों की हरी टहनियों को चाटते रहेंगे कबतक मिटटी से जन्मे , बदनीयत- बदहवास कीड़े ? कबतक भूखे पशुओं का भरती रहेगी पेट धरती पर लहलहाती हरी दूब...
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