tag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post9134352852565129628..comments2023-08-03T08:13:15.576-07:00Comments on युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش: सूरदास के रूहानी नग़मे / शैलेश ज़ैदी [क्रमशः 4]युग-विमर्शhttp://www.blogger.com/profile/05741869396605006292noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post-86555986740284203482008-08-14T08:36:00.000-07:002008-08-14T08:36:00.000-07:00डा० साहब,हृदय से मेरा प्रणाम स्वीकार करें। ब्लागों...डा० साहब,हृदय से मेरा प्रणाम स्वीकार करें। ब्लागों पर टहलते-टहलते आपके ब्लाग तक पहुँचा और लगातार पाँच घण्टे तक तब तक पढ़ता रहा,जब तक पूरा ब्लाग समाप्त नहीं कर लिया। कभी पढ़ा था-स हितकरः इति साहित्यः! जो हितकर है वही साहित्य है।ब्लाग की सम्पूर्ण रचनाएँ चाहे वह आप की हों या किसी अन्य की,जहाँ समाजोपयोगी हैं वहीं आपके शुद्ध,परिष्कृत,एवं द्वन्द्व रहित मानसिकता को अपनें सम्पूर्ण सौन्दर्य के साथ व्यक्त करतीं हैं।भांति-भांति के वाद-विवाद से ग्रसित भारतीय समाज एवं विद्वान से लगनें वाले लोग हितकर छोड़ नाम और दाम के नश्वर- लोभ में रुचिकर गढ़नें में लगे हों, वहाँ आप जैसे शाश्वत मूल्याधारित चिन्तक,रचनाकार एवं शुद्ध भारतीय के लिए मै इतना ही कह सकता हूँ कि ॥ जीवेम शरदः शतम ॥ सुमन्त मिश्रAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post-88636487022492669072008-08-14T07:22:00.000-07:002008-08-14T07:22:00.000-07:00आभार इस प्रस्तुति के लिए.आभार इस प्रस्तुति के लिए.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com