tag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post8613708078729013541..comments2023-08-03T08:13:15.576-07:00Comments on युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش: मैं सवालों से घिरा था, और लब खामोश थे.युग-विमर्शhttp://www.blogger.com/profile/05741869396605006292noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post-37607179077814103532008-11-07T00:45:00.000-08:002008-11-07T00:45:00.000-08:00मैं सवालों से घिरा था, और लब खामोश थे.जिंदगी ठहरी ...मैं सवालों से घिरा था, और लब खामोश थे.<BR/>जिंदगी ठहरी हुई थी, रोजो-शब खामोश थे.<BR/>*******<BR/>उसके मयखाने का जाने कैसा ये दस्तूर था,<BR/>जाम रिन्दों के थे खाली, फिर भी सब खामोश थे.<BR/>*******<BR/>शख्सियत उसकी थी कुछ ऐसी कि उसके सामने,<BR/>बुत की सूरत हम खड़े थे बा-अदब, खामोश थे.<BR/>*******<BR/>ऐसे बे-हिस भी न थे हम, हाँ बहोत मजबूर थे,<BR/>जाने क्यों लोगों ने समझा बे-सबब खामोश थे<BR/>********<BR/>हमको ऊंची ज़ात वालों ने कुचल कर रख दिया,<BR/>लब हिला सकते न थे, बेबस थे, जब खामोश थे.<BR/>*******<BR/>चाँदनी के रक्से-बिस्मिल पर था मैं हैरत-ज़दा,<BR/>लालओ-गुल देखकर ऐसा गज़ब, खामोश थे.<BR/><BR/>जब तलक खामोश थे तेरे लब, <BR/>तेरी खामोशी बयां करती थी ,<BR/>तेरे जज्बात की गहराई को ,<BR/>सजदे का माहौल था मयखाने में | <BR/>तौबा-तौबा,टूटना तेरी खामोशी का,<BR/>????????????????????? <BR/>"हमको ऊंची ज़ात वालों ने कुचल कर रख दिया,<BR/>लब हिला सकते न थे, बेबस थे, जब खामोश थे<BR/> [img]http://img145.echo.cx/img145/1536/sc0734ig.gif[/img]<BR/><BR/> सिलसिले को तो याद रखा करो अगरचे किसी की शख्शियत से बा अदब हो कर खामोश हैं तो फ़िर किसी पर इल्जाम कैसा ?'' अन्योनास्ति " { ANYONAASTI } / :: कबीरा ::https://www.blogger.com/profile/02846750696928632422noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post-84628219134743141602008-11-06T22:29:00.000-08:002008-11-06T22:29:00.000-08:00मैं सवालों से घिरा था, और लब खामोश थे.जिंदगी ठहरी ...मैं सवालों से घिरा था, और लब खामोश थे.<BR/>जिंदगी ठहरी हुई थी, रोजो-शब खामोश थे.<BR/>*******<BR/>उसके मयखाने का जाने कैसा ये दस्तूर था,<BR/>जाम रिन्दों के थे खाली, फिर भी सब खामोश थे.<BR/>*******<BR/>शख्सियत उसकी थी कुछ ऐसी कि उसके सामने,<BR/>बुत की सूरत हम खड़े थे बा-अदब, खामोश थे.<BR/><BR/><BR/>बहुत ख़ूब...फ़िरदौस ख़ानhttps://www.blogger.com/profile/09716330130297518352noreply@blogger.com