tag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post7645429484179009347..comments2023-08-03T08:13:15.576-07:00Comments on युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش: अमृत पीकर क्या पाओगेयुग-विमर्शhttp://www.blogger.com/profile/05741869396605006292noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post-37776499655011017002010-06-22T21:40:48.211-07:002010-06-22T21:40:48.211-07:00चाँद बनो नीरव निशीथ में,
शीतल होकर मुस्काओगे॥
मन ...चाँद बनो नीरव निशीथ में,<br />शीतल होकर मुस्काओगे॥<br /><br />मन सशक्त रखना ही होगा,<br />पर्वत से जब टकराओगे॥ प्रेरक भाव सुन्दर गज़ल बधाईनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post-39940069559067002272010-06-22T11:35:09.700-07:002010-06-22T11:35:09.700-07:00इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post-3082915935362522032010-06-22T11:35:09.698-07:002010-06-22T11:35:09.698-07:00एक अच्छी गजल पढ़कर वाह ! लिखने के लिए माउस पकड़ा ह...एक अच्छी गजल पढ़कर वाह ! लिखने के लिए माउस पकड़ा ही था कि टिप्पणीकारों से निवेदन पढ़ लिया. अब इतनी सीधी,सरल, छोटे बहर की हिंदी गज़ल जिसका हर शेर आसानी से समझ में आ जाता है मगर लिखे विचारों को जीवन में ढालना उतना ही मुश्किल है..पढ़कर कोई वाह कहना चाहे तो उसे आप क्यों रोक रहे हैं..?<br />जिसने इतनी अच्छी गज़ल लिखी वह निश्चित रूप से विद्वान है ..अब कोई किसी विद्वान की बात सर झुका कर सुनना और वाह-वाह करना चाहता है तो क्या बुरा है..?<br />...मैं तो आदर से सिर्फ वाह ही कहना चाहता हूँ...वाह! क्या गज़ल पढ़ी आज.देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post-5590334544283175302010-06-22T11:25:22.451-07:002010-06-22T11:25:22.451-07:00अमृत पीकर क्या पाओगे।
विष पी लो शिव बन जाओगे॥
पीड...अमृत पीकर क्या पाओगे।<br />विष पी लो शिव बन जाओगे॥<br /><br />पीड़ा अपनी व्यक्त न करना,<br />लोग हँसेंगे, पछताओगे॥<br /> क्या बात है!!! पहली बार आई, लगा, पहले क्यों नहीं आई?वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post-59762900861440203722010-06-22T11:22:32.503-07:002010-06-22T11:22:32.503-07:00अमृत पीकर क्या पाओगे।
विष पी लो शिव बन जाओगे॥
पी...अमृत पीकर क्या पाओगे।<br /> विष पी लो शिव बन जाओगे॥<br /><br />पीड़ा अपनी व्यक्त न करना,<br /> लोग हँसेंगे, पछताओगे॥<br /><br />आप के ब्लॉग पर आना हमेशा सार्थक होता है शैलेश जी,<br />हर शेर अपनी छाप छोड़ता है ,<br />वाह !सुबहान अल्लाह !<br />आज का दिन तो बहुत अच्छा रहा सुबह जाफ़र साहब के कलाम से लुत्फ़ अंदोज़ हुए इस वक़्त इस रचना से .<br />बहुत बहुत शुक्रिया ऐसा साहित्य उपलब्ध कराने के लिएइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.com