tag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post3520700305836010805..comments2023-08-03T08:13:15.576-07:00Comments on युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش: आँखें वीरान सी हैं,चेहरा बियाबान सा है.युग-विमर्शhttp://www.blogger.com/profile/05741869396605006292noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post-84481424214121441872009-02-18T09:35:00.000-08:002009-02-18T09:35:00.000-08:00"वो बताने पे था आमादा पुराने रिश्ते/मैं मिला था कभ..."वो बताने पे था आमादा पुराने रिश्ते/मैं मिला था कभी उससे मुझे कुछ ध्यान सा" ये कहने का अंदाज़ सर.....उफ़्फ़्फ़<BR/>और ये शेर भी बहुत पसंद आया "आओ घर लौट चलें कुछ नहीं रक्खा है यहाँ/काफिला जीस्त का अब, बेसरो-सामान सा है"<BR/>सलाम सर....गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.com