tag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post1196341982804769291..comments2023-08-03T08:13:15.576-07:00Comments on युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش: देह मे जब तक भटकती सांस है/घनश्याम मौर्ययुग-विमर्शhttp://www.blogger.com/profile/05741869396605006292noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post-73302417101149464332010-06-17T21:00:38.763-07:002010-06-17T21:00:38.763-07:00देह मे जब तक भटकती सांस है.
त्रास के होते हुए भी ...देह मे जब तक भटकती सांस है.<br /><br />त्रास के होते हुए भी आस है.<br /><br />दर्द कितना भी भयानक हो मगर,<br /><br />मुस्कुराने का हमे अभ्यास है.<br /><br />वाह!<br />दर्द में मुस्कुराना भी तो कला ही हैइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.com