tag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post9023301266173182542..comments2023-08-03T08:13:15.576-07:00Comments on युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش: तुम नहीं हो तो ये तनहाई भी है आवारायुग-विमर्शhttp://www.blogger.com/profile/05741869396605006292noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post-32603254891536771002010-06-22T07:40:58.737-07:002010-06-22T07:40:58.737-07:00कोयलें साथ उड़ा ले गयी आँगन की फ़ज़ा
पेड़ खामोश ह...कोयलें साथ उड़ा ले गयी आँगन की फ़ज़ा <br />पेड़ खामोश हैं, अंगनाई भी है आवारा <br /><br />हुज़ूर , 'अंगनाई' को 'आवारा' के साथ <br />किस खूबसूरती के साथ <br />निस्बत दे कर ऐसा अछा शेर कह डाला आपने.... !!<br />और वो <br />फ़िक्र की मेरी वो गहराई भी है आवारा <br />ज़हनी कशमकश का वो अजीब आलम <br />और ये असर <br /><br />एक अच्छी ग़ज़ल के लिए दिली दाद कुबूल फरमाएंdaanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post-37031257630831620422010-06-21T21:28:29.730-07:002010-06-21T21:28:29.730-07:00जाने क्यों ज़ह्न कहीं पर भी ठहरता ही नहीं,
फ़िक्र ...जाने क्यों ज़ह्न कहीं पर भी ठहरता ही नहीं,<br />फ़िक्र की मेरे वो गहराई भी है आवारा<br /><br />इस में तो कोई शक ही नहीं है कि आप की फ़िक्र में गहराई बहुत हैइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post-19617566253313364652010-06-21T20:50:39.752-07:002010-06-21T20:50:39.752-07:00कितनी देर मतले पर ही अतकी रही --लाजवाब । पूरी गज़ल ...कितनी देर मतले पर ही अतकी रही --लाजवाब । पूरी गज़ल बहुत अच्छी लगी धन्यवाद्निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post-34347238376848855682010-06-21T20:47:31.468-07:002010-06-21T20:47:31.468-07:00सुन्दर गजल।सुन्दर गजल।आचार्य उदयhttps://www.blogger.com/profile/05680266436473549689noreply@blogger.com