tag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post8403482621853157676..comments2023-08-03T08:13:15.576-07:00Comments on युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش: वो अगर सुन सके मेरी कुछ इल्तिजा,युग-विमर्शhttp://www.blogger.com/profile/05741869396605006292noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post-64079598940856308512010-06-23T20:45:27.812-07:002010-06-23T20:45:27.812-07:00क्यों है माहौले-जंगो-जदल हर तरफ़, कैसी बारूद की बू...क्यों है माहौले-जंगो-जदल हर तरफ़, कैसी बारूद की बू है ज़र्रात में, / बाहमी-अम्न की सूरतें हों जहाँ, चलके थोडी सी मैं भी अमां मांग लूँ.<br /><br />क्या बात है!<br />इतनी लंबी बहर को इतनी ख़ूबी से निभाया है आप ने कि ज़बान गुंग हो गई,क़लम की नोक पे अल्फ़ाज़ ठहर से गए हैं ,<br />सोच रही हूं क्या कभी मैं ऐसा लिख पाऊंगी?इस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post-55229016851328579212008-12-28T23:30:00.000-08:002008-12-28T23:30:00.000-08:00अच्छी गज़ल...उर्दू के चंद क्लिष्ट शब्द,मगर अवरोध पै...अच्छी गज़ल...उर्दू के चंद क्लिष्ट शब्द,मगर अवरोध पैदा करते हैं,लेकिन ये कमी तो मेरी है..गज़ल की नहींगौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.com