tag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post6720581463841300757..comments2023-08-03T08:13:15.576-07:00Comments on युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش: वरक़-वरक़ मेरे ख़्वाबों के / ज़ैदी जाफ़र रज़ायुग-विमर्शhttp://www.blogger.com/profile/05741869396605006292noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post-78084091703347995842008-08-28T11:53:00.000-07:002008-08-28T11:53:00.000-07:00वो ख्वाब अब मैं दोबारा न देख पाऊंगाकि मुझमें ख्वाब...वो ख्वाब अब मैं दोबारा न देख पाऊंगा<BR/>कि मुझमें ख्वाबों के अब देखने की ताब नहीं<BR/>बनाना चाहता फिर ज़िन्दगी अजाब नहीं<BR/>कि फिर हवा कोई आकर उन्हें उडा देगी<BR/>कि फिर मैं दर्द की शिद्दत से टूट जाऊँगा.<BR/><BR/>बहुत ख़ूब. क्या बात है.अमिताभ मीतhttps://www.blogger.com/profile/06968972033134794094noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post-37666241847828180632008-08-28T09:16:00.000-07:002008-08-28T09:16:00.000-07:00आनन्द आ गया. पढ़वाने का आप को बहुत शुक्रिया.आनन्द आ गया. पढ़वाने का आप को बहुत शुक्रिया.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com