tag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post4759548414247168651..comments2023-08-03T08:13:15.576-07:00Comments on युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش: रात सूली पर टंगी थी, दिन का चेहरा था निढाल.युग-विमर्शhttp://www.blogger.com/profile/05741869396605006292noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post-37226898896831147102008-10-18T02:51:00.000-07:002008-10-18T02:51:00.000-07:00रात सूली पर टंगी थी, दिन का चेहरा था निढाल.कर दिया...रात सूली पर टंगी थी, दिन का चेहरा था निढाल.<BR/>कर दिया मुझको मेरे हालात ने ऐसा निढाल.<BR/>आजतक किरदार क्या था मेरा, किसको फ़िक्र थी,<BR/>कह के मुजरिम क़ैद में रक्खा गया तनहा निढाल.<BR/><BR/>बेहतरीन पेशकश...अच्छा लगता है आपके ब्लॉग पर आकर...फ़िरदौस ख़ानhttps://www.blogger.com/profile/09716330130297518352noreply@blogger.com