tag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post4421720851415696710..comments2023-08-03T08:13:15.576-07:00Comments on युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش: स्वागत! / सुधीर सक्सेना 'सुधि'युग-विमर्शhttp://www.blogger.com/profile/05741869396605006292noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post-62617653891241938572008-08-30T04:05:00.000-07:002008-08-30T04:05:00.000-07:00मेरे साथ-साथ आपको भी हैरानी होती होगी कि क्य...मेरे साथ-साथ आपको भी हैरानी होती होगी कि क्योंकर मैं आपकी लगभग हरेक कविता पर टिप्पणी देने पहुँच ही जाता हूँ . खातिर जमा रखिये 'सुधि' साहेब , आप लिखते ही इतना खूबसूरत हैं . 'पंछी का संवलाया पंख माँ.' से बेहतर प्रतीक कोई दूसरा नही हो सकता था, माहोल को एक लाइन में उकेरने के लिए, आपकी कलम को लाख -लाख सलाम .<BR/>-अमित पुरोहितअमित पुरोहितhttps://www.blogger.com/profile/08550735129503789849noreply@blogger.com