tag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post4230700547052985274..comments2023-08-03T08:13:15.576-07:00Comments on युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش: क़त्ल की साज़िशों से क्या हासिल्युग-विमर्शhttp://www.blogger.com/profile/05741869396605006292noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post-64941288986896598182010-06-23T09:17:23.522-07:002010-06-23T09:17:23.522-07:00मुझको ख़ामोश कर न पाओगे ,
ज़ुल्म की वरज़िशों से क...मुझको ख़ामोश कर न पाओगे , <br />ज़ुल्म की वरज़िशों से क्या हासिल <br /><br />आज की ग़ज़ल के तेवर को शान से बयान करता हुआ ये शेर <br />apni मिसाल खुद आप हो गया है <br /><br />और <br />हो नहीं सकतीं जो कभी पूरी , <br />ऐसी फ़रमाइशों से क्या हासिल <br />मन में कहीं गहरे झाँक कर कह पाने वाली बात <br />इस मासूम शेर में बहुत जँच रही है <br />मुबारकबाद .daanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post-26563878450142500322010-06-22T20:31:51.034-07:002010-06-22T20:31:51.034-07:00मुझको ख़ामोश कर न पाओगे,
ज़ुल्म की वरज़िशों से क्य...मुझको ख़ामोश कर न पाओगे,<br />ज़ुल्म की वरज़िशों से क्या हासिल्॥<br /><br />फ़ासले किस लिए बढाते हो, <br />बे वजह रंजिशों से क्या हासिल्॥<br /><br />सच है रंजिशें घर तोड़ देती हैं,मुल्क को टुकड़ों में बांट देती हैं <br />इंसान से वो करवा देती हैं जो इंसानियत के ही ख़िलाफ़ होता है<br />किसी समस्या का हल क़त्ल ओ ग़ारत नहीं ये बात लोगों को कब समझ में आएगीइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post-3222236334993292052010-06-22T20:19:41.241-07:002010-06-22T20:19:41.241-07:00दूसरा और आखिरी शेर तो क्या खूब कहा। इसका ये मतलव न...दूसरा और आखिरी शेर तो क्या खूब कहा। इसका ये मतलव नही कि बाकी अच्छे नही लगे मगर ये दोनो दिल को छू गये।काविशों का अर्थ समझ नही आया मगर शेर के भाव समझ आ गये। आभार।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.com