tag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post2962506180269355358..comments2023-08-03T08:13:15.576-07:00Comments on युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش: गुले-ताज़ा समझकर तितलियाँयुग-विमर्शhttp://www.blogger.com/profile/05741869396605006292noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post-8568154327178308902008-10-06T18:12:00.000-07:002008-10-06T18:12:00.000-07:00ख़बर ये है उसे भी रात को नींदें नहीं आतीं,सुना हैं...ख़बर ये है उसे भी रात को नींदें नहीं आतीं,<BR/>सुना हैं उसको भी तन्हाइयां बेचैन करती हैं.<BR/><BR/><BR/>--बहुत खूब..आभार!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post-24874741563534394482008-10-06T12:17:00.000-07:002008-10-06T12:17:00.000-07:00एक अच्छी गजल पढ़वाने के लिए धन्यवादवीनस केसरीएक अच्छी गजल पढ़वाने के लिए धन्यवाद<BR/><BR/><BR/>वीनस केसरीवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post-17786126349279253842008-10-06T09:55:00.000-07:002008-10-06T09:55:00.000-07:00मैं साहिल से समंदर का नज़ारा देख कब पाया,मुझे मौजों...मैं साहिल से समंदर का नज़ारा देख कब पाया,<BR/>मुझे मौजों से उलझी कश्तियाँ बेचैन करती हैं.<BR/><BR/>bahut khoobएस. बी. सिंहhttps://www.blogger.com/profile/09126898288010277632noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post-87130534645249370802008-10-06T09:23:00.000-07:002008-10-06T09:23:00.000-07:00कुछ धीरज जरूरी होता हैखलाओं से निबटने के लिएखला जब...कुछ धीरज जरूरी होता है<BR/>खलाओं से निबटने के लिए<BR/>खला जब मौत की रची हो<BR/>वक्त को गुजरने देना चाहिए<BR/>यही किया मैंने<BR/>गो वक्त चींटी की रफ्तार से गुजरा<BR/>दिल पर हथौड़े, गिराता<BR/>बहुत सुंदर ,,बेहतरीन रचना।manvinder bhimberhttps://www.blogger.com/profile/14360004004976420055noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6753607008942686249.post-22547485494047486122008-10-06T08:35:00.000-07:002008-10-06T08:35:00.000-07:00बेहतरीन रचना। बेचैनियां दिल को छू गईं-ख़बर ये है उ...बेहतरीन रचना। बेचैनियां दिल को छू गईं-<BR/>ख़बर ये है उसे भी रात को नींदें नहीं आतीं,<BR/>सुना हैं उसको भी तन्हाइयां बेचैन करती हैं.Richa Joshihttps://www.blogger.com/profile/05908845774715158021noreply@blogger.com